जमाअत ए इस्लामी हिन्द के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में जमाअत के अध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द बाबरी मस्जिद की 24 वीं बरसी पर एक बार फिर अपने संकल्प को दोहराती है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड] मानवाधिकार संगठनों और सभी धर्मों के न्यायप्रिय लोगों के सहयोग से बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण और बहाली के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष करती रहेगी। 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास का काला दिवस था। दुर्भाग्य से मस्जिद विध्वंस के दोषी अभी भी आजाद घूम रहे हैं और सत्ता में आयी कोई भी सरकार किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। 17 साल की लंबी अवधि के बाद लिब्राहन आयोग ने जून 2009 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दिया था बावजूद इसके कोई व्यावहारिक कदम नहीं उठाया गया। केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मौलाना उमरी ने आशा व्यक्त किया है किनिर्णय इसके पक्ष में आएगा। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जमाअत बाबरी मस्जिद केस को अदालत से बाहर सेटेलमेंट की किसी भी संभावना को खारिज करती है।
जमाअत ए इस्लामी हिन्द सरकार के इस दावे पर संशय व्यक्त करती है कि 500 और 1000 रुपये के नोट के विमुद्रीकरण से काले धन का चलन रुक जाएगा। अगर काले धन को रोकना ही था तो 2000 के करेंसी नोट को क्यों लाया गया\ सरकार के इस अचानक घोषणा से ऐस प्रतित होता है कि यह एक चुनावी स्टंट है] लेकिन इसके नतीजे में लाखों गरिब और मध्यमवर्गीय लोग अपने ही पैसों के लिए एटीएम और बैंकों के सामने घटों और दिनों से कतारों में खड़े हैं उनके लिए अनेकों असुविधायें पैदा हो गई हैं। जमाअत इस्लामी हिन्द सरकार से – विमुद्रीकरण योजना के पूरे विवरण] पूरी प्रक्रियाओं पर लागत और प्रस्तावित लाभ] किन किन विभागों की भागीदारी थी और आम आदमी के प्रतिदिन के खर्च के लिए पैसों की किल्लत से निबटारा को सुनिश्चित करने के लिए कौन कौन सी व्यवस्था की गयी] पर श्वेत पत्र लाने की मांग करती है। सरकार को चाहिए कि इस योजना से आम जनों में उत्पन्न कठिनाइयों को कम करने के लिए तमाम संभावित उपाये उपलब्ध कराये।
जमाअत ए इस्लामी हिन्द ने म्यांमार में मुसलमानों पर जारी जाति-संहार पर अत्यंत दुख] चिंता और रोष प्रकट किया है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की खबरों के मुताबिक वहां बर्मी सैनिकों द्वारा मुसलमानों की संपत्तियों को नष्ट कर दिया गया है और राखिना राज्य के पूरे गांव को आग के हवाले कर दिया गया है। आंग सांग सू की नेतृत्व वाली धुर पक्षधर लोकतांत्रिक सरकार में मुसलमानों का जनसंहार नहीं रुक रहा है। सैनिकों और आतंकियों ने अपने ही नागरिकों की जिंदगी को विरक्त करके रख दिया है। उनकी नागरिकता को निषेध किया जा रहा परिणामस्वरूप मुसलमान बड़े पैमाने पर वहां से पलायन कर रहे हैं। जमाअत इस्लामी हिन्द इस बात पर चिंता व्यक्त करती है कि संयुक्त राष्ट्र] अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और मुस्लिम देशों की रोहिंगिया मुसलमानों की दशा को लेकर उदासीनता पर चिंता व्यक्त करती है। जमाअत म्यांमार सरकार से मांग करती है कि रोहिंगिया मुसलमानों के खिलाफ दमनकारी नीतियां का त्याग करे और उन्हें देष में पूरी आजादी के साथ शांतिपूर्वक जीवन गुजारने का अवसर प्रदान करे और सैनिकों और आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे।
द्वारा जारी
मीडिया प्रभाग
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