Tendency to take law into their own hands is dangerous for the country: Jamaat-E-Islamic Hind -HINDI

October 3, 2017

क़ानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति देश के लिए घातक – जमाअत इस्लामी हिन्द

जमाअत इस्लामी हिन्द की सीकर इकाई की तरफ से रात्रि में जामा मस्जिद चौक में एक आम सभा का आयोजन “फ़रीज़ा ए इक़ामते दीन और उम्मते मुस्लिमा” विषय पर किया गया। जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद जलालुद्दीन उमरी ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस देश की भ्रष्टाचार, भेदभाव, दलितों और महिलाओं के साथ अत्याचार जैसी समस्याओं का बेहतरीन हल इस्लाम पेश करता है। उन्होंने मुसलमानों का आह्वान किया कि वे देशवासियों के सामने इस्लाम की शिक्षाओं को प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि हम देशवासी अपने आपसी झगड़ों को मिलकर, बातचीत से ख़त्म कर सकते हैं।

 

समारोह के विशिष्ट अतिथि जमाअत ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना नुसरत अली ने इस अवसर पर कहा कि मुसलमानों की यह ज़िम्मेदारी है की वो स्वयं भी इस्लाम के अनुसार जीवन गुज़ारें और उसका पैग़ाम दूसरे लोगों तक भी पहुंचाएं। इस्लाम सबके साथ न्याय की बात करता है, अग़र किसी के भी साथ अन्याय होता है तो मुसलमानों को उसके साथ खड़ा होना चाहिये। मुसलमानों को वंचितों एवं आम आदमी के अधिकारों के लिये आवाज़ उठानी चाहिये इससे स्वयं उनकी स्थिति में भी सुधार होगा और देश तथा समाज को भी फ़ायदा होगा।

इस अवसर पर जमाअत ए इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर मुहम्मद सलीम ने कहा कि देश की तरक़्क़ी के लिए अमन और शांति जरूरी है। यहाँ के हर नागरिक को यह विश्वास होना चाहिये कि उसके साथ न्याय होगा और उन्हें बराबर के अधिकार हासिल होंगे।
उन्होंने कहा कि देश मे बढ़ती हुई कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति देश की शान्ति और विकास के लिये बहुत घातक है, इसे रोकना सरकार की बुनियादी ज़िम्मेदारी है। जमात ए इस्लामी हिन्द यह चाहती है कि देश में आपसी प्रेम, भाईचारा और विश्वास का वातावरण मज़बूत हो, इसके लिये ज़रूरी है कि देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं के लोगों का आपसी संवाद बढ़े, उन्होंने कहा कि जमाअ़त इसके लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि देश में तेज़ी से होता हुआ नैतिक मूल्यों का पतन देश और समाज को कमजोर कर रहा है। जमाअत ए इस्लामी हिन्द का प्रयास है कि ईश्वरीय मार्गदर्शन की रोशनी में नैतिक मूल्यों, समानता एवं न्याय पर आधारित समाज का निर्माण हो। जमाअत इस कार्य के लिये अपने कार्यकर्ताओं को तैयार कर रही है।

 

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