नई दिल्ली, 24 मार्च 2020: कोरोना वायरस (कोविड-19) ने देश में आपदा का रूप ले लिया है और इससे प्रभावित होने वालों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है। इसलिए अधिकतर राज्यों ने लॉकडाउन का एलान कर दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों नें बताया है कि यह रोग एक दूसरे से क़रीब रहने, उनसे हाथ मिलाने, किसी चीज़ को छूने और फिर उस चीज़ को दूसरे व्यक्ति के छूने से फैलता है। जहां लोग बड़ी संख्या में जमा हों वहां इस बीमारी के फैलने की संभावना अधिक होती हैं। इस संदर्भ में सवाल किया जा रहा है कि मस्जिदों में सामूहिक (प्रबंधवाद) नमाज़ के सिलसिले में कैसी स्थिति (पक्ष) अपनायी जाए?
शरिया कौंसिल, जमाअत इस्लामी हिन्द ने इस स्थिति (पक्ष) पर विचार किया और इस्लाम में इबादत के महत्व और इंसान की जान की सुरक्षा के सिलसिले में इस्लामी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए फैसला किया कि – मस्जिदों में कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जाए, स्वास्थ्य सुरक्षा के वे तमाम उपाये अपनाएं जायें जिनको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं। मस्जिदों में पांचों वक़्त की अज़ान दी जाए, इसलिए कि यह इस्लाम का प्रतीक है। मस्जिदों में इमाम, मोअज्ज़िन, सेवक और व्यवस्थापक तमाम सावधानियों को अपनाते हुए सामूहिक तौर से नमाज़ अदा करें और मोहल्ला के बाक़ी तमाम लोग अपने घरों में नमाज़ अदा करें। घर के लोग (महिलाओं समेत) बाजमाअत (सामूहिक तौर से) नमाज़ पढ़ें। इसी तरह जुमा की नमाज़ भी अदा की जाए। अल्पतम समय में जुमा का खुतबा (धर्मोपदेश) और नमाज़ हो। बाक़ी के लोग अपने घरों में ज़ोहर (दोपहर) की नमाज़ अदा करें। व्यक्तिगत तौर पर ज्यादा से ज्यादा खुदा का गुणगान किया जाए। अल्लाह से दुआ की जाए कि जल्द से जल्द इस घातक बीमारी का बल टूट जाए और इससे मोक्ष दे। जो ग़रीब लोग रोज़गार से वंचित और आर्थिक परेशानियों में पड़े हैं उनकी मदद के लिए अंषदान देने की व्यवस्था की जाए।
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