पुलिस का भय निकल जाए तो इसे सभ्य समाज किस तरह कहा जा सकता हैः अमीनुल हसन
नई दिल्ली, 29 फरवरी 2020। दिल्ली में दंगा के संदर्भ में एक संयुक्त प्रेस सम्मेलन में जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष अमीनुल हसन ने कहा कि सरकार को इस बात की अपेक्षा नहीं थी कि सीएए का विरोध इस स्तर पर होगा। सीएए से पहले इस सरकार ने जितने अध्यादेश और अधिनियम लाए थे राष्ट्र खामोश रहा। लेकिन सीएए के विरोध में संपूर्ण देश एकजुट हो गया क्योंकि इसका संबंध किसी विशेष समुदाय से न होकर यह मुद्दा देश के प्रत्येक नागरिकों से जुड़ा है। सीएए के विरोध में देश के हर नागरिक धरना-प्रदर्शन में शामिल हैं।
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, दिल्ली में आयोजित संयुक्त प्रेस सम्मेलन में अमीनुल हसन ने बताया कि मुम्बई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद बेंच और दिल्ली की अदालत ने भी कहा कि शान्तिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना हमारा अधिकार है। हसन ने आगे कहा कि यह फासिस्ट मांसिकता है कि वह असहमति को पसंद नहीं करते। विरोध-प्रदर्शन को ख़त्म करने के लिए अवैध तरीके से उन्होंने दंगा का हंगामा करवाया । पुलिस को भी धरना स्थल खाली कराने का आइडिया मिल गया । बुनियादी तौर पर विरोध-प्रदर्शन के अधिकार को अवैध रूप से खत्म कराने की कोशिश की गई है।
अमीनुल हसन ने प्रेस सम्मेलन में बताया कि इस प्रसंग में नौ लोगों की एक टीम देर रात पुलिस मुख्यालय पहुंची। वहां की पुलिस ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से मिलने नहीं दिया। लगभग ढाई बजे रात्री यह टीम पुलिस आयुक्त के निवास पहुंची। इस टीम ने उनके समक्ष शंका जतायी कि तीन चार दिनों तक दंगा को नियंत्रण नहीं कर पाने से यही संकेत मिलता है कि पुलिस को अपना कर्तव्य पूरा करने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस के सामने दंगाई डंडे और रडों के साथ घूम रहे हैं और पुलिस मौन खड़ी है। उन्होंने चिंता जताते हुए सवाल किया कि यदि लोगों के दिलों से पुलिस का भय निकल जाए तो इसे सभ्य समाज किस तरह कहा जा सकता है?
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