नई दिल्ली 31 दिसंबर 2017। जमाअत इस्लामी हिन्द की मरकज़ी मजलिस शूरा (केंद्रीय सलाहकार परिषद) का पांच दिवसीय सम्मेलन जमाअत के अमीर (अध्यक्ष) की अध्यक्षता में पालाघाट (केरल) के माउंट सीना स्कूल में सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन में: (1) तीन तलाक पर केंद्रीय सरकार के प्रस्तावित विधेयक (2) देश में शान्ति और व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था की बिगड़ती हुई सूरतेहाल (3) मुस्लिम दुनिया में बाहरी हस्तक्षेप और (4) यरूशलम में अमरिकी दूतावास के स्थानांतरण का राष्ट्रपति ट्रम्प के एलान जैसे मुद्दों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी। इस अवसर पर पारित प्रस्तावों में कहा गया कि तीन तलाक से संबंधित केंद्रीय सरकार का विधेयक अनावश्यक] तथ्य के खिलाफ़] आंतरिक विरोधाभास पर आधारित और महिलाओं के अधिकारों और हितों के खिलाफ है। जिसमें एक बार में तीन तलाक देने वालें पुरुषों के लिए तीन साल की क़ैद की सज़ा और जुर्माना का प्रावधान है।
मजलिसे शूरा (सलाहकार परिषद) का एहसास है कि यह विधेयक न केवल संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अनुच्छेद 25 के खिलाफ़ है बल्कि तीन तलाक के बारे में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के भी ख़िलाफ़ है। विधेयक के अनुसार जब तीन तलाक होगा ही नही तो फिर सज़ा किस लिएA फिर विधेयक में कहा गया है कि तलाक़ देने वाला अपनी पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के लिए ज़िम्मेदार होगा। सवाल यह पैदा होता है कि जो पुरुष बंदी है वह किस तरह अपने पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण कर सकेगाA प्रस्ताव में इस बात पर हैरत और चिंता प्रकट कि गई कि सरकार ने इस्लामी शरीयत के जानकारों] उलमाओं] धार्मिक एवं सामुदायिक संगठनों और मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधि संगठनों से सलाह लेने की कोई आवश्यकता नहीं समझी।
मजलिस शूरा ने देश में शान्ति और व्यवस्था की बिगड़ती सूरतेहाल] कानून के उल्लंघन की निरंतर घटनाएं] बदहाल अर्थव्यवस्था और लोकतांत्रिक संस्थान को प्रभावहीन बना दिए जाने पर गहरी चिंता प्रकट किया। राजस्थान में एक मुस्लिम मज़दूर को जिंदा जलाने वाले मुलज़िम की गिरफ्तारी पर विरोध ने यह बात साबित कर दिया कि इन घटनाओं का संबंध साधारण अपराधों से नहीं है बल्कि उनकी पीठ पर संगठित राजनीतिक शक्तियां मौजूद हैं। प्रस्ताव में मुसलमानों] ईसाइयों] आदिवासियों और दलितों के खिलाफ होने वाले हिंसाओं का सख़्ती से नोटिस लेते हुए कहा गया कि देश में सांप्रदायिक मतभेदों को बढ़ाने के व्यवस्थित प्रयास हो रहे हैं।
सम्मेलन में देश की अर्थव्यवस्था की सूरतेहाल पर चिंता प्रकट की गयी। प्रस्ताव में कहा गया कि रोज़गार के कम होते अवसर] मुद्रा का अवमूल्यन और जीएसटी को ग़लत ढंग से लागू करने से देश की अर्थव्यवस्था को अपूर्णीय क्षति पहुंची है। प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई है कि अप्रत्येक्ष कर का प्रतिशत कम किया जाए और जीएसटी कौंसिल को पुनर्विलोकन की श्रेणी में लाया जाए। प्रस्ताव में प्रस्तावित एफआरडीआई बिल में ‘^^‘बेल इन’’ का जो तरीका रखा गया है उस पर चिंता प्रकट की गयी। मजलिस शूरा ने रिजर्व बैंक की विशेष समिति की ब्याजरहित विंडो की सिफ़ारिशों को सरकार द्वारा निरस्त किए जाने पर चिंता प्रकट किया। मजलिसे शूरा ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों के पतन और लोकतांत्रिक संस्थानों की कमज़ोरी और शोषण पर भी गहरी चिंता प्रकट किया। अब तो रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया] सेंट्रल विजीलेंस कमीशन और सीबीआई जैसे संस्थानों के बाद अब चुनाव आयोग की निष्पक्षता और ईमानदारी पर सवाल उठने लगे हैं। मजलिस शूरा ने मीडिया की एकतरफा और पक्षपातपूर्ण भूमिका पर भी सवाल उठाया। आधार कार्ड और नागरिकों की नीजता के अधिकार से संबंधित सरकार के पक्ष को प्रस्ताव में निंदनीय समझा गया और सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद जतायी गई कि वह इन विनाशकारी नीतियों से सरकार को रोकेगा।
मजलिस शूरा ने मुस्लिम दुनिया की वर्तमान सूरतेहाल पर भी चिंता प्रकट किया। इसका एहसास है कि इस पूरे क्षेत्र को बाहरी हस्तक्षेप से आज़ाद कराया जाए। मजलिसे शूरा ने मुस्लिम देशों को सुझाव दिया कि वह इस्लामी कान्फ्रेंस संगठन को सक्रिय और प्रभावी बनायें ताकि शिक्षा ] संस्कृति] मीडिया] व्यापार] अर्थ व्यवस्था] प्रौद्योगिकी और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम दुनिया के देशों के बीच विस्तृत सहयोग का मार्ग प्रशस्त हो सके। मजलिस शूरा के निकट मुस्लिम दुनिया की आज़ादी के लिए आवश्यक है कि वह उन सभी राजनीतिक] फौजी और आर्थिक समझौतों और मामलों से आज़ादी हासिल कर ले जो उसकी आज़ादी को क्षति पहुंचाते हैं। मजलिस शूरा को इस बात पर चिंता है कि इस क्षेत्र में इस्राईल और अमरीका के राजनीतिक] फौजी और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ते जा रहे हैं।
मजलिस शूरा के विचार में जो काम तुरंत करने का है वह यह कि विदेशी फौजी हस्तक्षेप का अंत। मजलिस ने मिस्र में लगातार हो रही हिंसा और सीरिया के आंतरिक सूरतेहाल पर भी चिंता प्रकट किया और शांति की बहाली पर जोर दिया है। इसी के साथ सीरिया में शांतिपूर्ण और स्वतंत्र चुनाव के ज़रिए शासन और सत्ता की स्थापना पर ज़ोर दिया है। मजलिस ने मिस्र और अन्य अरब देशों में इस्लामी ब्रदरहुड और दूसरे राजनीतिक कैदियों और इस्लाम पसंद लोगों की रिहाई की मांग की।
केंद्रीय सलाहकार परिषद ने अमरिकी राष्ट्रपति के उस घोषणा की कड़े शब्दों में निन्दा की कि बैतुल मक़दस (पवित्र स्थल) इस्राइल की राजधानी होगा और अमरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित किया जाएगा। परिषद के निकट यह घोषणा तथ्य और न्याय के सभी नियमों की खुली खिलाफवर्जी है। राष्ट्रपति के इस घोषणा ने इस्राइल और फलस्तीन के बीच शांति और समझौते के लिए होने वाले प्रयासों को प्रभावहीन बना दिया है।
मजलिस शूरा ने इस मसला पर दुनिया के अधिकतर देशों के पहल की प्रशंसा किया। संयुक्त राष्ट्र के महासभा और सुरक्षा परिषद के भारी बहुमत ने राष्ट्रपति ट्रम्प के उस फैसले को निरस्त कर दिया। परिषद के सम्मेलन ने भारत सरकार की प्रशंसा की कि उसने राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले के खिलाफ़ महसभा में वोट देकर अपनी परंपरागत रिवायतों को क़ायम रखा।
मजलिस शूरा ने अवाम से अपील किया कि वह फलस्तीन में इस्राइल के अनैतिक क़ब्ज़े, निर्माण और अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें। इस तरह मजलिस ने मुस्लिम समुदायों और विश्व के इंसाफ पसंद लोगों से अपील किया कि वह क़िबला अव्वल (पहली इबादतगाह) की बहाली और फलस्तीन की समस्याओं के हल के लिए सभी शांतिप्रिय और सैद्धांतिक माध्यमों का इस्तेमाल करें।
द्वारा जारी
मीडिया प्रभाग
जमाअत इस्लामी हिन्द
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